गोडसे को पार्लियामेंट स्ट्रीट के डीएसपी जसवंत सिंह औ र तुगलक रोड थाने के इंस्पेक्टर दसौदा सिंह ने पकड़ा हुआ था. बिड़ला हाउस में भगदड़ मची हुई थी. गांधीजी को बिड़ला हाउस के अंदर लेकर जाया जा रहा था. गोडसे को तुगलक रोड थाने में ले जाया गया था. वहां पर गांधी जी की हत्या का एफआईआर लिखा गया. पुलिस ने गांधी की हत्या का एफआईआर कनाट प्लेस के एम-56 में र हने वाले नंदलाल मेहता से पूछ कर लिखा . मुझे वह दिन भी याद हैं जब गांधीजी की अंत्येष्टि हुई थी. 31 जन वरी को मैं भी शाम के वक्त राजघाट पहुंच गया था. उस का ले दिन राजधानी की सड़कों पर मुंड ही मुंड दिख रहे थे. सैकड़ों लोगों ने गांधी की मौत के गम में अपने सिर मुंडवा लिए थे. राजधानी और इसके आसपास के ग्रामीण इलाकों के हजारों लोग अपना देसी घी लेकर श्मशान स्थल पर पहुंच गए थे. इनकी चाहत थी कि जो घी वे लेकर आए हैं, उसीसे गांधी की अंत्येष्टि हो जाए. शव यात्रा बिड़ला हाउस से जनपथ, कनाट प्लेस , आईटीओ होते हुए राजघाट पहुंची थी. शववाहन पर पंडित नेहरू और सरदार पटेल बैठे थे. दोनों शोकाकुल थे. उसी वाहन पर गांधी के पुत्र रामदास और देवदास भी थे.